यह पुष्पीय पादप है तथा पृथ्वी पर सर्वाधिक विकसित है इनमें अंडाशय पाया जाता है जो निषेचन के बाद फल में परिवर्तित हो जाता है इस समूह में बीज फल भित्ति से ढके रहते हैं वर्तमान में पादपों का यह समूह पृथ्वी पर प्रभावी वनस्पति के रूप में विद्यमान है।
इन के सामान्य लक्षण निम्न है।
आवृतबीजियो के सामान्य लक्षण
1. इन पादपों का वितरण विश्वव्यापी है यह उत्तर ध्रुव दक्षिण ध्रुव तथा इन दोनों के मध्य स्थित भूतल भूमध्यसागरीय क्षेत्र में व्यापक रूप से पाए जाते हैं
2.इनका माप सूक्ष्म दर्शी जिवो वुल्फिया से लेकर सबसे ऊंचे वृक्ष युकेल्पिटस तक होता है
3. आवृत्तबीजी को दो वर्गो द्विबीजपत्री तथा एकबीजपत्री में विभक्त किया गया है द्विबीजपत्री पौधों के बीजों मैं दो बीजपत्र होते हैं जबकि एक बीजपत्री में एकपत्र होता है
4. मुख्य पादप बीजाणुदभिद होता है जो सु विकसित मूल तंत्र तथा प्ररोह तंत्र में विभेदित होता है परोह तंत्र स्तंभ तथा प्रणो से बना होता है।
5. जननां पुष्प मैं लगते हैं पुष्प में नर जनन अंग पुकेसर होते हैं प्रत्येक पुकेसर मैं एक पतला तंतु होते हैं जिसके शीर्ष पर पराग कोष होता है अर्धसूत्री विभाजन के बाद परागकोश में परागकण बनते हैं।
6. पुष्प में मादा जनन अंग स्त्रीकेसर अथवा अंडप होते हैं प्रत्येक अंडप नीचे की ओर एक अंडाशय तथा ऊपर वर्तिका और वर्तिकाग्र का बना होता है अंडाशय मैं एक या एक से अधिक बीजांड होते हैं बीजांड के अंदर बहुत ही न्यूनीकृत मदा यूग्मकोदभिद् होता है जिसे भ्रूण कोष कहते हैं भ्रूण कोष के बनने के पू्व अर्धसूत्री विभाजन होता है इसकी प्रत्येक कोशिका अगुणित होती है
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