DNA Replication
पूर्व उपस्थित DNA अणुओं से new DNA अणुओं का संश्लेषण की प्रतिकृति कहीं जा सकती है। प्रतिकृति द्वारा DNA अणु अपने स्वय के यथार्थ सम्मान ही संरचनात्मक अणु उत्पन्न करते हैं इसे स्वत जनन की संज्ञा भी दी जा सकती हैं।
DNA ki दिकुडलित संरचना के आधार पर सर्वप्रथम प्रतिकृति प्रक्रिया के एक सरल प्रारूप का वाटसन वह क्रिक ने वर्णन प्रस्तावित किय| DNA प्रतिकृति के समय दोनों पोलीनयुकिलओटाड श्रंखलाए अकुणडलित होकर एक दूसरे से पृथक हो जाति है टेंपलेट (Template) या सांचे के रूप मैं कार्य करती है चार युगमन की विशिष्टता के कारण पृथक हुई श्रंखलाओ का प्रत्येक न्यूक्लियोटाइड कोशिका के भीतरी माध्यम में से अपने पूरक न्यूक्लियोटाइड को आकर्षित करता है कोशिका द्रव्य मैं चारों प्रकार के न्यूक्लियोटाइडो का पुल होता है।
एंजाइम DNA polymerase three की उपस्थिति मैं नए न्यू किलो टाइट दोनों खुली हुई polinucilotyde श्रंखला अर्थात DNA Templeto के क्षारो पर बंधुता अनुसार पुन हाइड्रोजन बन्धो द्वारा जुड़ जाते हैं
adenine से thymine, cytosine से ग्वानीन वह इसी प्रकार thymine se Adenine and gvanine se cytosine बंदी तो जाते हैं इस प्रकार दोनों खुली हुई पॉलिन्यूक्लियोटाइड श्रंखला हो पर नई पूरक श्रृंखलाएं प्रतिस्थापित हो जाती है परिणाम स्वरूप प्रतिकृति के अंत में डीएनए के एक अनु से दो अणुओं से दो अणुओं का निर्माण होता है । इसे डीएनए की प्रतिकृति करण कहते हैं।
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