Cell cycle
कोशिका के एक विभाजन के अंन्त से दूसरे विभाजन के अंन्त तक के चक्रीय प्रक्रम को कोशिका विभाजन कहते हैं। इसका विस्तृत अध्ययन हावर्ड एव pulc ne प्रस्तुत किया कोशिका चक्र में लिए जाने वाला समय एक पीढीकाल कहलाता है।
कोशिका चक्र का प्रारंभ नवनिर्मित कोशिका से होता है नव कोशिका जनक कोशिका की तुलना में छोटी होती है इसमें डीएनए की मात्रा भी जनक कोशिका की तुलना में आधी होती है व्यस्क होने तक इसमें कोशिका द्रव्यी वह केंद्रीय पदार्थ होगा संश्लेषण होता है और व्यस्क कोशिका का आयतन नव कोशिका से 4 गुना अधिक और डीएनए प्रतिकृति के कारण इसकी मात्रा दोगुनी हो जाती है अब यह परिपक्व व्यस्क कोशिका विभाजन योग्य हो जाती है इस प्रकार कोशिका चक्र दो प्रमुख प्रवस्था मिलती है
1. Interphase ( अंन्तरावस्था)
2. Miotic phase (M-प्रावस्था)
1. अंन्तरवस्था (interphase)
दो कर्मीक या उत्तरोत्तर विभाजननो के मध्य की अवधि या अंतराल जबकि कोशिका विभाजन नहीं हो रहा होता है अंन्तरवस्था कहलाती है।।
कोशिकाएं अपना अधिकांश जीवनकाल अंन्तरवस्था मैं ही बिताती है इस अवस्था में तेजी से जैव संश्लेषण होता है इससे कोशिका का आकार दुगुना हो जाता है इस अवस्था को विश्राम अवस्था भी कहते हैं परंतु कोशिका चक्कर की सबसे अधिक सक्रिय अवस्था है अंन्तरवस्था को निर्मितिय अवस्था भी कहते हैं।
इस प्रावस्था में निम्न घटनाएं होती हैं-
1. विभिन्न पदार्थों के संश्लेषण होने से केंद्रक तथा कोशिका द्रव्य के आकार में वृद्धि होती है
2 तारककाय के विभाजन से दो पुत्री तारककाय का निर्माण होता है।
3 डीएनए में प्रतिकृतिकरण होने से मात्रा दुगुनी हो जाती है
4 urja yukt योगीको का संश्लेषण होता है
अंन्तरवस्था मैं होने वाली संश्लेषी क्रियाओं के आधार पर (Howard and pelc, 1953 ) ने अवधियों या कॉल मैं विभक्त किया है
(a.) Gap-I phase - कोशिका विभाजन के तुरंत बाद यह प्रावस्था शुरू होती है इस प्रवस्था में कोशिका विभाजन चक्कर में लगने वाले कुल समय का अधिकतम समय लगता है इस अवस्था मैं गुणसूत्र लंम्बे वह पतले होते हैं तथा ट्रांसक्रिप्शन के लिए अधिक सक्रिय होते हैं वे आपस में लिपट कर जाल बनाते हैं इस प्रावस्था के दौरान कई क्रमबद्ध उपापचय क्रियाएं होती हैं जो डीएनए के द्विगुणन को शुरू करने के लिए आवश्यक होती है इस अवस्था में प्रोटीन आर एन ए डीएनए संश्लेषण के लिए आवश्यक एंजाइम तथा नाइट्रोजन क्षारों का संश्लेषण गया संग्रह भी होता है यह कोशिका चक्र की महत्वपूर्ण प्रावस्था है

(b) S phase - यह प्रावस्था Gap-I phase के बाद आती है इस प्रावस्था के दौरान डीएनए आरनए तथा हिस्टोन प्रोटींन्स का संश्लेषण होता है इस कारण से इस प्रावस्था को डीएनए संश्लेषण प्रावस्था भी कहते हैं डीएनए की प्रतिकृति का द्विगुणन होता है अर्थात डी एन ए की मात्रा दुगुनी हो जाती है जैसे यदि डीएनए की C है तो AC and 2C है तो 4C हो जाती है इस प्रावस्था में 6 से 9 घंटे लगते हैं।
(C) Gap-II phase - यह प्रावस्था S प्रावस्था के बाद अती है इसे पंशच डीएनए संश्लेषण अवस्था भी कहते हैं इस दौरान विभाजन के लिए आवश्यक RNA व् प्रोटीन संश्लेषण होता है तरकू तंतुओं के कारण निर्माण में आवश्यक प्रोटींन्स का निर्माण भी इस प्रावस्था में होता है। इससे डीएनए का संश्लेषण नहीं होता है।
2. M- Phase (M प्रवस्था)
इसे विभाजनकारी अवस्था भी कहते हैं इस अवस्था का निरूपण संकेत मै M द्वारा किया जाता है M माइटोसिस को दर्शाता है सूत्री विभाजन होने से क्रोमेटिड अलग-अलग हो जाते हैं और संतति क्रोमोसोम बनाते हैं संतति क्रोमोसोम संतति केंद्र को मैं चले जाते हैं और कोशिका द्रव्य बंटकर दो एक समान संतति कोशिकाओं का निर्माण करते हैं
Your sir post is amazing and helpful tx sir ji
ReplyDeleteTx ji
ReplyDelete