Meaning of life
संजीव पदार्थ की जैव क्रिया ही जीवन है जिसमें उपापचयी क्रियाएं (Metabolic activities) तथा जनन क्रियाए हो उसे जीवन कहते हैं ।
निर्जीव संजीव पदार्थ तंत्रों को देख वह छू सकते हैं किंतु जीव धारियों के जीवन को ना देख सकते हैं ना छू सकते हैं वास्तव में जीवन संजीव पदार्थ में उत्पन्न होने वाली एक विशेष प्रकार की उर्जा है यह ऊर्जा उपापचयी क्रियाओं के होने के लिए growh Development एवं वातावरणीय बदलावों के प्रति संवेदनशील होने के लिए आवश्यक होती है।
वातावरण से पदार्थों को ग्रहण कर उपापचयी क्रियाओं में सम्मिलित करने की क्षमता इसे उर्जा के कारण संभव हो पाती है किसी भी जीवन में यह ऊर्जा संदैव एक समान नहीं रहती है ।
एक न एक जीव का पदार्थ तंत्र वातावरण से पदार्थ ग्रहण करके अपनी उपापचय क्रियाओं की पूर्ति करने में असमर्थ हो जाता है और तभी इसकी मृत्यु हो जाती है ।
हां मृत्यु से पहले यह अपनी संगठन शक्ति अथवा जैवशक्ति प्रजनन द्वारा अपनी संतान में स्थानांतरित कर देता है।
इस प्रकार उर्जा के अर्थों में जीवन को हम पदार्थ के संगठन की यह दशा कह सकते हैं जिसमें यह वातावरण की ऊर्जा का उपयोग कर सकता है यही जैव पदार्थ की जैव दशा है।
जैव दशा को बनाए रखने के लिए संजीव पदार्थ में निरंतर ऊर्जा रूपांतरण होता रहता है। ऊर्जा रूपांतरण के लिए वातावरण के पदार्थ ग्रहण करने अपजात पदार्थों का बहिष्कार करने अपने संगठन को अखंड और क्रियाशील बनाए रखने आदि से संबंधित क्रियाएं प्रत्येक जीवधारी निरंतर करता रहता है और यही जैव क्रियाएं किसी जीवधारी के संजीव life होने का प्रमाण देती है।
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