Adaption
प्रत्येक प्राणी में जीवित रहने के लिए वातावरण से सामंन्जस्य बनाए रखने के गुण होता है इसके लिए इन जंतुओं में सर्जनात्मक कार्यिकी वह व्यवहार परिवर्तन विशेषताएं आते हैं जिनकी सहायता से वातावरण में अपने आप को अनुकूलित कर लेते हैं इन परिवर्तनों को या विशेषताओं को अनुकूलन कहते हैं
अनुकूलन के फल स्वरुप जीवो तथा वातावरण में सामंजस्य स्थापित रहता है ।
1. मरुस्थलीय अनुकूलन
2 जलीय अनुकूलन
मरुस्थलीय अनुकूलन
मरुस्थलीय प्राणियों की त्वचा मैं स्वेद ग्रंथियां की संख्या कम वे यह मोटे आवरण वाले आश्रय स्थलों में रहते हैं जिससे प्रस्तवेदन कम होता है इनकी त्वचा मोटी में अपारगम्य होती है त्वचा पर शल्क वह कांटे होते हैं इनमें उष्मीय सहनशीलता क्षमता होती है
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