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Showing posts from October, 2020

what is Adaption

    Adaption     प्रत्येक प्राणी में जीवित रहने के लिए वातावरण से सामंन्जस्य बनाए रखने के गुण होता है इसके लिए इन जंतुओं में सर्जनात्मक कार्यिकी वह व्यवहार परिवर्तन विशेषताएं आते हैं जिनकी सहायता से वातावरण में अपने आप को अनुकूलित कर लेते हैं इन परिवर्तनों को या विशेषताओं को अनुकूलन कहते हैं अनुकूलन के फल स्वरुप जीवो तथा वातावरण में सामंजस्य स्थापित रहता है । 1. मरुस्थलीय अनुकूलन 2 जलीय अनुकूलन        मरुस्थलीय अनुकूलन                                    मरुस्थलीय प्राणियों की त्वचा मैं स्वेद ग्रंथियां की संख्या कम वे यह मोटे आवरण वाले आश्रय स्थलों में रहते हैं जिससे प्रस्तवेदन कम होता है इनकी त्वचा मोटी में अपारगम्य होती है त्वचा पर शल्क वह कांटे होते हैं इनमें उष्मीय सहनशीलता क्षमता  होती है                                 

Forest Resources

  Forest Resources culture वन वृक्षों झाड़ियों और अन्य कष्ठीय वनस्पति का एक संघन जैविक समुदाय है वनों के संगठन वह सघनता में बड़ी विभिन्नताएं मिलती है हमारी सभ्यता वह संस्कृति के वन विभाग वन वृक्ष अभिन्न अन है   अनेक धार्मिक पर्वो पर वृक्ष पिंपल बरगद की पूजा की जाती है आम पिंपल बरगद चंम्पा भोजपत्र कल्पवृक्ष बेलपत्र के पदप मंदिरों वे स्वच्छ जल के स्रोतों के पास लगाना आज भी शुभ माना जाता है   प्राचीन काल से ही वनों से हमारी आवश्यकताएं पूरी होती थी आज भी मानव वनों पर किसी ना किसी प्रकार निर्भर है अनेक आदिम जातियां अभी भी वनों में निवास करती है वह पूर्ण रुप से  वनोउत्पाद पर ही निर्भर है वन किसी भी देश की अमूल्य निधि है वह अधिकांश विकास योजनाएं वह आर्थिक उन्नति वनों पर ही निर्भर करती है। हमार भारत एक कृषि प्रधान देश है फिर भी वनों का आर्थिक व्यवस्था में विशेष महत्व वनों से हमें फल फूल चारा इमारती वह जलाऊ लकड़ी कोयला गोंद तथा कत्था इत्यादि प्राप्त होते हैं वनों से प्राप्त जड़ी बूटियों पर आधारित चिकित्सा पद्धतियों का आज भी प्रचलन है इनमें ऐसे रसायनों का पता लगाया गया ह...

Meaning of life

  Meaning of life संजीव पदार्थ की जैव क्रिया ही जीवन है जिसमें उपापचयी क्रियाएं (Metabolic activities) तथा जनन क्रियाए हो उसे जीवन कहते हैं । निर्जीव संजीव पदार्थ तंत्रों को देख वह छू सकते हैं किंतु जीव धारियों के जीवन को ना देख सकते हैं ना छू सकते हैं वास्तव में जीवन संजीव पदार्थ में उत्पन्न होने वाली एक विशेष प्रकार की उर्जा है यह ऊर्जा उपापचयी क्रियाओं के होने के लिए growh Development एवं वातावरणीय बदलावों के प्रति संवेदनशील होने के लिए आवश्यक होती है।   वातावरण से पदार्थों को ग्रहण कर उपापचयी क्रियाओं में सम्मिलित करने की क्षमता इसे उर्जा के कारण संभव हो पाती है किसी भी जीवन में यह ऊर्जा संदैव एक समान नहीं रहती है । एक न एक जीव का पदार्थ तंत्र वातावरण से पदार्थ ग्रहण करके अपनी उपापचय क्रियाओं की पूर्ति करने में असमर्थ हो जाता है और तभी इसकी मृत्यु हो जाती है । हां मृत्यु से पहले यह अपनी संगठन शक्ति अथवा जैवशक्ति प्रजनन द्वारा अपनी संतान में स्थानांतरित कर देता है। इस प्रकार उ र्जा के अर्थों में जीवन को हम पदार्थ के संगठन की यह दशा कह सकते हैं जिसमें यह वातावरण की ऊर्जा का...

Cell cycle

  Cell cycle               कोशिका के एक विभाजन के अंन्त से दूसरे विभाजन के अंन्त तक के चक्रीय प्रक्रम को कोशिका विभाजन कहते हैं। इसका विस्तृत अध्ययन हावर्ड एव pulc ne प्रस्तुत किया कोशिका चक्र में लिए जाने वाला समय एक पीढीकाल कहलाता है। कोशिका चक्र का प्रारंभ नवनिर्मित कोशिका से होता है नव कोशिका जनक कोशिका की तुलना में छोटी होती है इसमें डीएनए की मात्रा भी जनक कोशिका की तुलना में आधी होती है व्यस्क होने तक इसमें कोशिका द्रव्यी वह केंद्रीय पदार्थ होगा संश्लेषण होता है और व्यस्क कोशिका का आयतन नव कोशिका से 4 गुना अधिक और डीएनए प्रतिकृति के कारण इसकी मात्रा दोगुनी हो जाती है अब यह परिपक्व व्यस्क कोशिका विभाजन योग्य हो जाती है इस प्रकार कोशिका चक्र दो प्रमुख प्रवस्था मिलती है  1. Interphase ( अंन्तरावस्था) 2. Miotic phase (M-प्रावस्था) 1. अंन्तरवस्था (interphase)                                          दो कर्मीक या उत्तरोत्तर विभाजननो के मध...