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Showing posts from September, 2020

Red blood cells

  RBC.   Red blood cells         इन्हें Erythrocytes कहते हैं इनकी संख्या बहुत अधिक होती है कुल रुधिर कणिकाओं मैं से लगभग 99% होती है इनका व्यास 7 से 8u मोटाई लगभग  2u  होती है। यह आकार में वृत्ताकार डिस्कीरूपी उभयावतल एवं केंद्रक रहित होती है इनमें केंद्रक के अतिरिक्त माइटोकॉन्ड्रिया अन्त:दृव्यी जालिका एवं गाल्जीकाय आदि का अभाव होता है व्यस्क पुरुष में 50 से 55 लाख प्रतीक घन मीमी. और महिला में लगभग 45 लाख प्रति घन मिमी. होती है। केंद्रक की अनूपस्थिति के कारण इनमें हिमोग्लोबिन अधिक पाया जाता है यह कणिकाओं के कोशिका द्रव्य में पाया जाता है स्वसन वर्णक का कार्य करता है हिमोग्लोबिन की प्रोटीन ग्लोबिन होती है जो हीम नामक लाल रंगा पदार्थ से जुड़ी रहती है रुधिर का लाल रंग हीम के कारण ही होता है। हिमोग्लोबिन का प्रत्येक अनु ग्लोबिन  के 4 polypeptide श्रंखलाओ तथा फेरस आयन युक्त हीम के चार अणुओं से मिलकर बनता है हिमोग्लोबिन ऑक्सीजन से संयोग करके ऑक्सिहीमोग्लोबिन नामक योगिक बनाता है इसका सयोग ऑक्सीजन के आंशिक दाब पर निर्भर करता है इनमें कार्बनिक...

Function of Nucleus

1 Nucleus कोशिका का मात्र सामान्य अंग नहीं है बल्कि यह कोशिका का नियंत्रण केंद्र है 2. संपूर्ण अनुवांशिकी का केंद्र केंद्रक ही है जिसमें गुणसूत्र जींन्स वह डीएनए पाए जाते हैं 3. कोशिका द्रव्य की सामान्य क्रियाओं के संचालन में 4. अनुवांशिक सूचनाओं के स्थानांतरण 5. पूरे समय मैं जीव को जीवित रहने हेतु केंद्रक आवश्यक होता है 6. समसूत्री विभाजन में सक्रिय योगदान 7. राइबोसोम का जीवित जनन। 8.rRna एवं  प्रोटीन का निर्माण।

Chromosome

 अंन्तरावस्था के दौरान क्रोमेटिन धागे जान के रूप में उपस्थित होते हैं इसे क्रोमेटिन जालिका कहते हैं कोशिका विभाजन के समय क्रोमेटिन कि धागों के सम्मान संरचनाएं स्वतंत्र रचनाओं के रूप में दिखाई देते हैं इन्हें गुणसूत्र कहते हैं गुणसूत्र की खोज‌ सटासबरजर ने 1875 में की थी  डब्ल्यू. वाल्डेयर ने इसे क्रोमोसोम नाम दिया बेन्डेन व बावेरी के अनुसार प्रत्येक जीव में गुणसूत्रों की संख्या निश्चित होती है गुणसूत्र सदैव जोड़े में होते हैं प्रत्येक प्रकार के 2 गुणसूत्र समान होते हैं इनमें से एक माता से तथा दूसरा पिता से आता है इस प्रकार मनुष्य के 46 गुणसूत्रों मैं 23 माता से तथा 23 पिता से प्राप्त गुणसूत्र होते हैं अर्थात मनुष्य में 23 जोड़ी गुणसूत्रों की होती है गुणसूत्रों के इस अगुणित समुच्चय को जीनोम कहते हैं।

Angiosperms

 यह पुष्पीय पादप है तथा पृथ्वी पर सर्वाधिक विकसित है इनमें अंडाशय पाया जाता है जो निषेचन के बाद फल में परिवर्तित हो जाता है इस समूह में बीज फल भित्ति से ढके रहते हैं वर्तमान में पादपों का यह समूह पृथ्वी पर प्रभावी वनस्पति के रूप में विद्यमान है। इन के सामान्य लक्षण निम्न है। आवृतबीजियो के सामान्य लक्षण 1. इन पादपों का वितरण विश्वव्यापी है यह उत्तर ध्रुव दक्षिण ध्रुव तथा इन दोनों के मध्य स्थित भूतल भूमध्यसागरीय क्षेत्र में व्यापक रूप से पाए जाते हैं  2.इनका माप सूक्ष्म दर्शी जिवो वुल्फिया से लेकर सबसे ऊंचे वृक्ष युकेल्पिटस तक होता है 3. आवृत्तबीजी को दो वर्गो द्विबीजपत्री तथा एकबीजपत्री में विभक्त किया गया है द्विबीजपत्री पौधों के बीजों मैं दो बीजपत्र होते हैं जबकि एक बीजपत्री में एकपत्र होता है 4. मुख्य पादप बीजाणुदभिद होता है जो सु विकसित मूल तंत्र तथा प्ररोह तंत्र में विभेदित होता है परोह तंत्र स्तंभ तथा प्रणो से बना होता है। 5. जननां पुष्प मैं लगते हैं पुष्प में नर जनन अंग पुकेसर होते हैं प्रत्येक  पुकेसर मैं एक पतला तंतु होते हैं जिसके शीर्ष पर पराग कोष होता है अर्धसू...

Embryology

 जीव विज्ञान की वह शाखा जिसमें जीवो के परिवर्तन का अध्ययन किया जाता है उसे Embryology कहते हैं यह जीव विज्ञान की वह शाखा है जिसमें युग्मनो का निर्माण उनका संयोजन वह जीवो में युग्मनज का परिवर्तन का अध्ययन किया जाता है भ्रूणिकी कहते हैं। जीवो में अनिश्चित अंण्ड या निषेचित अण्ड जटिल बहूकोशिय जिव मैं परिवर्तित होता है इस क्रिया को परिवरधन Development कहते है। Development मैं युग्मनज विदलन (Cleavage) में जाता है। वह विदलन द्वारा बनी कोशिकाए ऊतक में विभेदन होती है व अन्त में अंगों का निर्माण होता है इस सभी क्रमबद्ध प्रक्रियाओं के अध्ययन को भ्रौणिकी या परिवरधन जैविककी कहते हैं। Types of Embryology 1.  Embryogenesis भ्रूणोदभव 2.  Blastogenesis कोरकदभव 1. Embryogenesis युग्मनज से नए जीव के परिवर्धन को भ्रौणिकी कहते हैं। 2. Blastogenesis अलैंगिक जनन संरचना जैसे मुकुल कायिक खंड ज़ीम्यूल आदि से नए जीव के परिवर्तन को गौरकदभव कहते हैं। भ्रूणिकी मैं अण्ड के जिव मैं परिवर्तन के साथ साथ अलैंगिक जनन द्वारा जीव के परिवर्तन का भी अध्ययन किया जाता है भ्रूणिकी का शाब्दिक अर्थ भ्रूणो का अध्यय...

Nucleus

  प्रत्येक कोशिका में केंद्रक अनिवार्य रूप से पाया जाता है कुछ कोशिकाओं में केंद्र primitive पृकृति का पाया जाता है इसे प्रारंभिक केंद्रक कहां जाता है Primitive केन्द्रक के लक्षण इस प्रकार है 1.केंद्रक‌ झिल्ली का अभाव  2. हिस्टोन प्रोटीन का अभाव 3. केन्द्रिका वह केन्द्रक रस का अभाव 4. गुणसूत्र धागों का अभाव  5. अनुवांशिक सामग्री DNA सुश्र के रुप में 6. अगुणित समुच्चय की उपस्थिति उपरोक्त लक्षणो युक्त कोशिका को प्रोकैरियोटिक कोशिका कहा जाता है। शैवालों मैं साइन सयनोफायसी के सदस्यों में एससी कोशिकाएं ही पाई जाती है जिन कोशिकाओं में सुसंगठित केंद्रक पाया जाता है उन्हें यूकैरियोटिक कहते हैं संगठित केंद्रक मे केन्द्रक झिल्ली, केंद्रक रस, केन्द्रीका histon, protein and गुणसूत्र धागों ‌‌की उपस्थिति जाती है eukaryotic kendrick अगुणित अथवा द्विगुणित प्रकार के पाए जाते हैं । Dinoflagellate में केन्द्रक झिल्ली उपस्थित होती है परन्तु गुणसूत्रों का अभाव होता है अतः इसे सत्य केंद्रक नहीं कहा जा सकता शेष सभी शैवालों में यूकैरियोटिक कोशिका पाई ...

What is stigma

  Stigma  यह लाल अथवा नारंगी रंग की संरचना होती है जो गतिशील एक कोशिकीय शैैैवालो चल कॉलोनियल स्वरूपों अथवा गतिमय प्रजनन कोशिकाओं मैं पाई जाति है इसके रंग के कारण ही इसे लाल नेत्र बिंदु का कहा जाता है गोल अंडाकार  रेखीय अथवा बिंदु सम हो सकताा है इसकी स्थिति प्राय अग्रसथ होती है। परंतु यह मध्य व पशच सिरे पर भी पाया जाता है इसे stigma कहते हैं हरित लवक में अथवा हरित लवक से बाहर कोशिका द्रव्य में कहीं भी पाया जा सकता है क्लैमीडोमोनास मैं हरित लवक में झिल्ली के भीतर की और लिपिड की सूक्ष्म बूंदों की दो समांतर कतारों द्वारा stigma का निर्माण होता है इन बूंदों के बीच मैं थायलेकायड का एक जुड़ा होता है तथा बाहर की और अनेक thylakoids पाये जाते हैं लिपिड बूंदो का नारंगी लाल रंग कैरोटीनायड वर्णक के कारण होता है यूग्लीना में यह कशाभिक के आधार की और पाया जाता है इसमें अनेक सूक्ष्म लिपिड बिन्दुक लवक से बाहर पाय जाते हैं जो एक जीली से गिरे रहते हैं इसे astaxanthin नमक वर्णक पाया जाता है फ्यूकस के पुमणु में stigma वर्णकी लवक मैं पाया जाता है जिसमें 50-70 वर्णकी कोष्ठ पाये जाते हैं नए दृक...

What is DNA Replication

  DNA Replication  पूर्व उपस्थित DNA अणुओं से  new DNA अणुओं का संश्लेषण की प्रतिकृति कहीं जा सकती है। प्रतिकृति द्वारा DNA अणु अपने स्वय के यथार्थ सम्मान ही संरचनात्मक अणु उत्पन्न करते हैं इसे स्वत जनन की संज्ञा भी दी जा सकती हैं। DNA ki दिकुडलित संरचना के आधार पर सर्वप्रथम प्रतिकृति प्रक्रिया के एक सरल प्रारूप का वाटसन वह क्रिक ने वर्णन प्रस्तावित किय| DNA प्रतिकृति के समय दोनों पोलीनयुकिलओटाड श्रंखलाए  अकुणडलित‌ होकर एक दूसरे से पृथक हो जाति है टेंपलेट (Template) या सांचे के रूप मैं कार्य करती है चार युगमन की विशिष्टता के कारण पृथक हुई श्रंखलाओ का प्रत्येक न्यूक्लियोटाइड कोशिका के भीतरी माध्यम में से अपने पूरक न्यूक्लियोटाइड को आकर्षित करता है कोशिका द्रव्य मैं चारों प्रकार के न्यूक्लियोटाइडो का पुल होता है। एंजाइम DNA polymerase three की उपस्थिति मैं नए न्यू किलो टाइट दोनों खुली हुई polinucilotyde श्रंखला अर्थात DNA Templeto के क्षारो पर बंधुता अनुसार पुन हाइड्रोजन बन्धो द्वारा जुड़ जाते हैं adenine  से thymine, cytosine से ग्वानीन वह इसी प्रकार thymine se A...

Catabolism

  Catabolism    अपचय  वह क्रियाएं हैं जिनमें जटिल अणुओं को सरल अणुओं में परिवर्तन किया जाता है तथा ऊर्जा का उत्पादन होता है उदाहरण के लिए कार्बोहाइड्रेट तथा लिपिड द्वारा जल तथा CO2 में परिवर्तित किए जाते हैं वह उर्जा उत्पन्न होती है इसी प्रकार अमीनो अमलो के अपचय से  नाइट्रोजन युक्त अंतिम उत्पाद बनते हैं उर्जा उत्पन्न होती है   उपापचय के इस भाग में ऑक्सीकरण द्वारा भोजन से प्राप्त पदार्थों का अपघटन होता है तथा इसमें संग्रहित स्थितिज उर्जा मुक्त होकर गतिज उर्जा में परिवर्तित होती है 1.  Carbohydrates catabolism  जीव द्रव्य प्रमुख ऊर्जा का स्रोत ग्लूकोज होता है शरीर में आवश्यक ऊर्जा का अधिकतर भाग हमें कार्बोहाइड्रेट से मिलता है। भोजन कार्बोहाइड्रेट , polysaccharid disaccharide व monosaccharide के रूप में होते हैं कार्बोहाइड्रेट जटिल कार्बनिक योगिक है जो प्रमुख रूप से कार्बन हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन से मिलकर बने होते हैं जिनमें  H and O का अनुपात हमेशा 2:1 होता है मनुष्य को प्रतिदिन लगभग 450 से 500 ग्राम कार्बोहाइड्रेट की आवश्यकता अपने भजन में होती...

Cell theory

  Cell theory अनेक शोधकर्ताओं द्वारा शताब्दियों तक किए गए गए शोध कार्य योजना द्वारा यह प्रमाणित हो गया है कि कोशिका जीवन की मूलभूत इकाई है।  कोशिका विज्ञान के अध्ययन‌ का प्रारंभ 15वीं शताब्दी से हुआ जब da Vinci ने  जीवो को हस्त लेंस द्वारा देखना प्रारंभ किया । प्रथम सूक्ष्म दर्शी z. Jansscn and H. Janssen द्वारा 1550 में निर्मित किया गया  (Pierre borcl )ni San 1656   ने मनुष्य की लाल  रुधिर कणिकाओं को सूक्ष्मदर्शी से अवलोकन कर इसका वर्णन किया  (Cell theory) Theodor Schwann ke anusar इस मत के अनुसार शरीर एक या अनेक सूक्ष्म कोशिकाओं का बना होता है जो शरीर की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई होती है इसे कोशिका सिद्धांत कहते हैं   1. (Purkinje) 1840 ने कोशिका में पाए जाने वाले द्रव्य को पहली बार जीवद्रव्य कहां  2. (H. Von mohol) 1835 Unhone koshika vibhajan ka varnan Kiya 3. (K. Nagali 1846)  इन्होंने प्रथम बार यह यह प्रदर्शित किया की प्रवृत्ति कोशिकाओं से नई कोशिकाओं का निर्माण होता है  4. (Rudolf Virchow 1855) में नई दिल्ली क...